मातम और गेहूं के दृष्टांत

मत्ती 13:24-30

24 उस ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया कि स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के समान है जिस ने अपने खेत में अच्छा बीज बोया।
25 पर जब लोग सो रहे थे तो उसका बैरी आकर गेहूं के बीच जंगली बीज बोकर चला गया।
26 जब अंकुर निकले और बालें लगीं, तो जंगली दाने भी दिखाई दिए।
27 इस पर गृहस्थ के दासों ने आकर उस से कहा, हे स्वामी, क्या तू ने अपने खेत में अच्छा बीज न बोया था फिर जंगली दाने के पौधे उस में कहां से आए?
28 उस ने उन से कहा, यह किसी बैरी का काम है। दासों ने उस से कहा क्या तेरी इच्छा है, कि हम जाकर उन को बटोर लें?
29 उस ने कहा, ऐसा नहीं, न हो कि जंगली दाने के पौधे बटोरते हुए उन के साथ गेहूं भी उखाड़ लो।
30 कटनी तक दोनों को एक साथ बढ़ने दो, और कटनी के समय मैं काटने वालों से कहूंगा; पहिले जंगली दाने के पौधे बटोरकर जलाने के लिये उन के गट्ठे बान्ध लो, और गेहूं को मेरे खत्ते में इकट्ठा करो॥

मातम और गेहूं के दृष्टान्त का अर्थ

मत्ती 13:36-43

36 तब वह भीड़ को छोड़ कर घर में आया, और उसके चेलों ने उसके पास आकर कहा, खेत के जंगली दाने का दृष्टान्त हमें समझा दे।
37 उस ने उन को उत्तर दिया, कि अच्छे बीज का बोने वाला मनुष्य का पुत्र है।
38 खेत संसार है, अच्छा बीज राज्य के सन्तान, और जंगली बीज दुष्ट के सन्तान हैं।
39 जिस बैरी ने उन को बोया वह शैतान है; कटनी जगत का अन्त है: और काटने वाले स्वर्गदूत हैं।
40 सो जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्त में होगा।
41 मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करने वालों को इकट्ठा करेंगे।
42 और उन्हें आग के कुंड में डालेंगे, वहां रोना और दांत पीसना होगा।
43 उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाईं चमकेंगे; जिस के कान हों वह सुन ले॥